बुन्देलखंड में अन्ना प्रथा दुरस्त किसान पस्त
बुन्देलखंड में अन्ना प्रथा दुरस्त किसान पस्त
बुंदेलखंड भारत
का एक विख्यात हिस्सा है इतना ही नहीं बुंदेलखंड की भूमि एक वीर भूमि के नाम से भी जानी जाती है फिर भी आज हमारे
किसान भाइयों को इस अन्ना जानवरों के मुद्दे से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है आइए जानते हैं क्या
है अन्ना प्रथा....?
अन्ना प्रथा कोई विपदा नहीं है परंतु आप हम सभी लोगों की ही
कमियों के चलते इन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है क्योंकि चार छः वर्ष पूर्व हम लोग
जानवरों को केवल फसल कटने के
बाद अर्थात चैत्र बैसाख के समय ही जानवरों को छोड़ते थे और महीने दो महीने के बाद सभी मजदूर व किसान भाई अपने-अपने जानवरों को बांध लेते थे परंतु
पिछले दो चार सालों से कुछ ऐसा
चला आ रहा है कि हम लोग अपनी गायों, बछड़ों व
बैलों को महत्व ना देते हुए उन्हें पीछे छोड़ते चले आ रहे हैं
अन्ना प्रथा का
बढ़ता प्रकोप
अन्ना मवेशियों
का बढ़ना तो एक विशेष कारण यह भी बनता है कि दो तीन वर्ष पहले बुंदेलखंड में भारी सूखा या कह सकते हैं की जल संकट परंतु
किसानों को कुछ सूखा राहत के तहत सहायता राशि प्रदान करके सरकारों ने मरहम तो लगा दिया था परंतु इसे
अन्ना मवेशियों पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं था जो हमारे पूर्वजों ने कठिन तप करके
मवेशियों को चराई वाली जमीनों
से चला कर लाते थे और बच्चे उन्हें घर में सानी भूसा पानी का काम करते थे परंतु आज इस आधुनिक समय में
नवयुवक ऐसे कार्य करने को जरा भी पसंद नहीं करते हैं और हम सभी लोग इस बात से वाकिफ होंगे
कि बुंदेलखंड में आज भी पानी
का संकट बना चला आ रहा है आज भी बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों में हजारों टैंकरों का प्रयोग कर पानी पहुंचाया
जाता है जिससे अन्ना प्रथा पर काबू पाना मुश्किल ही नहीं असंभव होता जा रहा है
बढ़ती टेक्नालॉजी
व दबंगो द्वारा
अवैध कब्जे
आज हम सभी लोग यह जानते होंगे कि ज्यादा समय
पहले नहीं अगर हम पंद्रह बीस साल पिछला समय
याद करते हैं तो यह महसूस होता है कि हमारे पिता व पूर्वज सभी लोग बैलों के द्वारा खेती किसानी
करते थे और उन्हीं के द्वारा
सभी किसान भाई अपना माल बाजार लेकर जाते थे लगभग लगभग सारे कामों में हम अपने गाय के बछड़ों व बैलों
का प्रयोग करते चले आ रहे थे ? यहां तक की खेत में जुताई भी बलों के द्वारा ही
होती थी परंतु आज सभी हमारे किसान भाई बढ़ती टेक्नालॉजी को देखकर मेहनत नहीं करना
चाहते हैं जिससे गाय ,बछड़ा व बैलों की कोई कद्र नहीं की जा रही है
आज यही कारण है किसान भाइयों के लिए कोई बड़ी आपदा से कम नहीं है हालांकि इस विषय से संबंधित सरकार को भी कुछ
ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे अन्ना मवेशियों को हम ही लोग अपने-अपने घरों में सुरक्षित रखने लगे व उनका पहले की तरह पूरा देखभाल करने लगे हालांकि यह भी तय है कि पहले की तरह रखना बड़ा
मुश्किल कार्य होगा क्योंकि मेरा मानना है कि कुछ समय पहले बुंदेलखंड
के हर एक गांव में
ग्राम सभा की जमीन से जानवरों की चराई हेतु जमीन निकाली जाती थी परंतु आज उस जमीन पर कुछ अराजक तत्व व
दबंगों के द्वारा अपने अधिकार जमा लिए गए हैं जिससे किसानों के साथ-साथ आम जनमानस को भी समस्याओं से
जूझना पड़ रहा है हालांकि भारत सरकार व राज्य सरकार को मिलकर
अन्ना मवेशियों से जुड़ी
हुई कुछ ऐसी योजनाएं तैयार करनी चाहिए जिससे अन्ना प्रथा पर रोक लगाई जा सके क्योंकि भारत एक बहुत
विशाल देश है और बुंदेलखंड इस विशाल देश का विशाल हिस्सा है और बुंदेलखंड क्या पूरा
भारत कृषि पर आधारित देश है तो
इस विषय पर सरकार को जल्द से जल्द उचित कदम बढ़ाना चाहिए
क्योंकि भाजपा सरकार का कहना था परिवर्तन लाएंगे देश
बचाएंगे और सब का साथ सबका विकास जैसे कई वादे सरकार बनने के पहले देकर अब अपने
वादों पर खरी नहीं उतर रही है
हालांकि हमारे पत्रकारों ने माननीय सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल जी से अन्ना मवेशियों के मुद्दे पर कुछ
सवाल खड़े किए थे और जवाब में उन्होंने जल्द से जल्द इस समस्या से छुटकारा पाने का
आश्वासन दिया है अब देखना यह है की भाजपा सरकार अपने वादों पर कितना खरा उतरती है
editorial written By= kuldeep dhuriya
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